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System testing in Hindi

System testing in Hindi | सिस्टम टेस्टिंग क्या है

सिस्टम टेस्टिंग क्या है | System testing in Hindi

चलिए जानते हैं, सिस्टम टेस्टिंग किसे कहते हैं, (System testing in Hindi) यह एक प्रकार की टेस्टिंग प्रक्रिया है, जिसमें fully integrated software product की टेस्टिंग की जाती है, ताकि यह verify किया जा सके की सिस्टम अपेक्षा अनुसार perform कर रहा है या नहीं। यह टेस्टिंग प्रक्रिया black-box testing के अन्तर्गत आती है। 

दूसरे शब्दो में कहा जाए तो जब किसी सॉफ्टवेयर का डेवलोपमेन्ट किया जाता है, तो उस सॉफ्टवेयर को पहले अलग-अलग modules में तैयार किया जाता है। उसके बाद उन सभी modules को आपस में combine किया जाता है, जिसे Integration testing कहा जाता है। अंत में जब सभी modules को integrate कर दिया जाता है, यानि जोड़ दिया जाता है, और एक पुरे system के तोर पर इसकी टेस्टिंग करि जाती है, तो इसे system testing कहा जाता है। सिस्टम टेस्टिंग का मुख्य उद्देश्य integrated modules या सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट के defects थता bugs को detect करना होता है।

इसके द्वारा सिस्टम के डिज़ाइन और व्यवहार को टेस्ट किया जाता है, की क्या सिस्टम customer की expectations पर खरा उतर रहा है या नहीं, यानि एक real working environment में इसका टेस्ट किया जाता है, जिसमे इसके compatible हार्डवेयर, इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर इत्यादि सभी को ध्यान में रखा जाता है। 

सिस्टम टेस्टिंग को मूल रूप से testing team द्वारा perform किया जाता है, यह डेवलपर टीम से अलग एक individual टीम होती है, जिसका कार्य सिस्टम की टेस्टिंग करना होता है। 

ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग क्या है | Black box testing in Hindi

ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग सॉफ्टवेयर टेस्टिंग की एक तकनीक है, जिसमे सॉफ्टवेयर की Internal structure या coding पर ध्यान नहीं दिया जाता है, बल्कि सिर्फ प्रोग्राम की कार्यक्षमता को चेक किया जाता है, की क्या सॉफ्टवेयर अपेक्षा अनुसार output दे रहा है या नहीं।

इसमें टेस्टर सॉफ्टवेयर को Input प्रदान करता है और उसके output को चेक करता है। यदि आउटपुट अपेक्षा अनुसार सही पाया जाता है, तो वह पास कर दिया जाता है, लेकिन यदि आउटपुट में किसी प्रकार की कमी पाई जाती है, तो ऐसे में सॉफ्टवेयर को फिर से ठीक करने के लिए डेवलपर टीम को भेज दिया जाता है। 

Types of System testing in Hindi

सिस्टम टेस्टिंग के विभिन्न प्रकारों में से मुख्य निम्नलिखित प्रकार हैं। 

Functionality testing:- इस टेस्टिंग का मकसद सिस्टम के functions को चेक करना होता है, जिसमे देखा जाता है की क्या सिस्टम के सभी फंक्शन requirement अनुसार कार्य कर रहें हैं, या नहीं। इस टेस्टिंग प्रक्रिया को manually या automated टूल्स द्वारा perform किया जाता है। 

Recoverability testing:- इस टेस्टिंग द्वारा चेक किया जाता है की किस प्रकार ऑपरेशन के दौरान उत्पन्न होने वाले internal errors और failure situations से सिस्टम recovery कर सकता है।  

Performance testing:- इसमें सिस्टम की कार्यक्षमता को चेक किया जाता है, की विभिन्न परिस्थितियों में सिस्टम किस प्रकार perform करता है। 

Scalability testing:- इसमें सिस्टम के प्रदर्शन को टेस्ट किया जाता है, की जब User request की संख्या बढ़ेगी या workload बढ़ेगा, तो ऐसी स्थिति में सिस्टम किस प्रकार perform करेगा। 

Reliability testing:- इस टेस्टिंग द्वारा चेक किया जाता है, की क्या सिस्टम bug free है, और क्या वह लंबे समय तक कार्य कर सकता है।  

Regression testing:- इस टेस्टिंग द्वारा सुनिश्चित किया जाता है, की क्या सिस्टम के किसी पार्ट में modification या update के बाद कोई नई समस्या तो उत्पन्न नहीं हो गई है। 

Migration testing:- इसके द्वारा सुनिश्चित किया जाता है, की प्रोग्राम को पूरी तरह से migrate किया जा सके, यानि old infrastructure से current infrastructure में सिस्टम को बिना किसी data loss थता changes के सही रूप से माइग्रेट किया जा सके।

Security testing:- इसमें प्रोग्राम की सुरक्षा को जाँचा जाता है, की क्या प्रोग्राम बाहरी खतरों को रोकने में समर्थ है। इसमें सिस्टम की Authentication थता Data protection क्षमता को टेस्ट किया जाता है। 

Usability testing:- चेक किया जाता है की एप्लीकेशन user friendly हो, उसे ऑपरेट करना और समझना आसान हो। 

Compatibility testing:- इसके द्वारा टेस्ट किया जाता है की क्या प्रोग्राम विभिन्न platform’s जैसे हार्डवेयर, OS, थता मोबाइल डिवाइस को सपोर्ट करता है, या नहीं। 

हमें उम्मीद है, सिस्टम टेस्टिंग की यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि इस से जुड़े आपके कोई सवाल या सुझाव हैं, तो आप कमेंट द्वारा हमें बता सकते हैं। 

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