You are currently viewing difference between black box and white box testing in hindi
Black box vs White box

difference between black box and white box testing in hindi

इस पोस्ट हम ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग और वाइट बॉक्स टेस्टिंग के बीच के अंतर को समझेंगे, Difference between black box and white box testing in Hindi, ब्लैक बॉक्स और वाइट बॉक्स दोनों ही सॉफ्टवेयर टेस्टिंग प्रक्रियाएं हैं। तो चलिए पहले सॉफ्टवेयर टेस्टिंग क्या होता है यह जानते हैं, फिर ब्लैक बॉक्स और वाइट बॉक्स टेस्टिंग के बीच के फर्क को समझेंगे।

सॉफ्टवेयर टेस्टिंग क्या है। What is Software testing in Hindi

सॉफ्टवेयर टेस्टिंग वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा यह जाँचा जाता है, या टेस्ट किया जाता है, की क्या सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट अपेक्षा अनुसार कार्य कर रहा है, या नहीं। यह एक सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट की कार्यक्षमता का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया है, जिससे यह पता लगाया जाता है, की डेवेलोप किया गया सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन defect free है, या नहीं, क्या वह अपेक्षित Requirement’s को पूरा कर सकता है, या नहीं।

सॉफ्टवेयर टेस्टिंग का मुख्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर डेवलोपमेन्ट के शुरुवाती दौर में ही bugs, errors का पता लगाना है, ताकि उन errors को fix किया जा सके और सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट को Requirement अनुसार Finalise किया जा सके। सॉफ्टवेयर टेस्टिंग की इसी प्रक्रिया को Black box और white box टेस्टिंग के रूप में भी जाना जाता है, या कह सकते हैं, Black box और White box सॉफ्टवेयर टेस्टिंग यह दो Methods हैं, जिनके द्वारा सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट की गुणवत्ता को evaluate किया जाता है। 

ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग क्या है | Black Box Testing In Hindi

ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग वह सॉफ्टवेयर टेस्टिंग method है, जिसमे टेस्टर द्वारा सिर्फ सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन की functionalities, उसकी कार्यक्षमता को चेक किया जाता है, यानि इसमें टेस्टर द्वारा सॉफ्टवेयर का internal structure, code, design या उसका implementation नहीं देखा जाता है, बल्कि सिर्फ सॉफ्टवेयर के input और output पर ध्यान दिया जाता है। ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग को closed box testing भी कहा जाता है, और Regression testing इसका एक प्रकार है। 

वाइट बॉक्स टेस्टिंग क्या है | White box testing in hindi

वाइट बॉक्स टेस्टिंग वह सॉफ्टवेयर टेस्टिंग method है, जिसमे टेस्टर द्वारा सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन की internal functioning को चेक किया जाता है। इसमें टेस्टर सॉफ्टवेयर के internal structure, design, उसकी coding को टेस्ट करता है, यानि इस टेस्टिंग method के execution के लिए tester को तकनीक का ज्ञान होना बहुत जरुरी है। वाइट बॉक्स टेस्टिंग को open box या clear box testing भी कहा जाता है, और Unit testing या integrated testing इसका एक प्रकार है। 

Difference between black box and white box testing in Hindi

Black Box testingWhite box testing
इसमें सिर्फ एप्लीकेशन की functionality को चेक किया जाता है, जिसमे की टेस्टर को एप्लीकेशन के internal structure और coding की जानकारी नहीं होती है। इसमें एप्लीकेशन के इंटरनल स्ट्रक्चर को चेक किया जाता है। इस टेस्टिंग मेथड में टेस्टर को इंटरनल स्ट्रक्चर और कोडिंग की जानकारी होती है। 
ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग को closed box टेस्टिंग भी कहा जाता है। वाइट बॉक्स टेस्टिंग को open box टेस्टिंग भी कहा जाता है। 
ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग के लिए प्रोग्रामिंग knowledge की आवश्यकता नहीं होती है। वाइट बॉक्स टेस्टिंग के लिए प्रोग्रामिंग knowledge का होना जरुरी है। 
ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग द्वारा एप्लीकेशन के behaviour को टेस्ट किया जाता है। वाइट बॉक्स टेस्टिंग का उद्देश्य एप्लीकेशन की वर्किंग उसके operation को टेस्ट करना है। 
ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग में कम समय की आवश्यकता पड़ती है। वाइट बॉक्स टेस्टिंग में अधिक समय की जरुरत होती है। 
इसे एक्सटर्नल सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के रूप में संदर्भित किया जाता है। इसे इंटरनल सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के रूप में संदर्भित किया जाता है। 
इस सॉफ्टवेयर टेस्टिंग को end user या सॉफ्टवेयर टेस्टर के द्वारा परफॉर्म किया जाता है। इसे टेस्टिंग मेथड को डेवलपर द्वारा परफॉर्म किया जाता है। 
ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग को अल्गोरिथम टेस्टिंग के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। वाइट बॉक्स टेस्टिंग को अल्गोरिथम के लिए बिलकुल उपयुक्त माना जाता है। 
ब्लैक बॉक्स टेस्टिंग में कोड के तैयार होने के उपरांत ही defects का पता लगाया जा सकता है। वाइट बॉक्स टेस्टिंग में शुरुवाती दौर में ही defects का पता लगाए जाने की संभावना रहती है।  

नोट :- आपने black box और white box सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के बारे में पढ़ा, और उनके बीच के फर्क को भी जाना, (Difference between black box and white box testing in Hindi) सॉफ्टवेयर की सफलता के लिए दोनों ही टेस्टिंग मेथड्स का इस्तेमाल जरुरी है, ताकि प्रमाणित किया जा सके की एप्लीकेशन defect free है, और अपेक्षा अनुसार work कर रही है। 

Share this:

Leave a Reply