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Repeater in computer network in hindi – रिपीटर क्या होता है?

क्या आप जानते हैं, कंप्यूटर नेटवर्क में रिपीटर क्या होता हैं, रिपीटर का क्या काम होता है, Repeater in computer network in hindi, और इसका इस्तेमाल क्यों और कब किया जाता है, यदि आपको रिपीटर की कोई जानकारी नहीं है, तो चलिए इसके बारे में आपको बताते हैं।  

कंप्यूटर नेटवर्क दो तरह से Create किया जाता है, एक Wired और दूसरा wireless, जहाँ वायर्ड कंप्यूटर नेटवर्क में मुख्य रूप से CAT 6 या CAT5 केबल का प्रयोग कर नेटवर्क तैयार किया जाता है, वहीँ वायरलेस नेटवर्क को तैयार करने में वाई-फाई Router या Access point का इस्तेमाल किया जाता है। जिस प्रकार नेटवर्क केबल एक तैय दूरी तक ही सही से काम कर पाती है, जो लगभग 100 मीटर तक की होती है, जिसके बाद नेटवर्क पैकेट्स ड्राप होने लगते हैं, या यूँ कहें की नेटवर्क सुचारु रूप से नहीं चल पाता है, नेटवर्क स्पीड धीमी हो जाती है और उसमे देरी मसहूस होने लगती है। 

ठीक उसी प्रकार वायरलेस नेटवर्क या WiFi की भी एक तैय सीमा होती है, जिस सीमा या दूरी के भीतर वायरलेस नेटवर्क सही से काम कर पाता है, और यदि आप उस वायरलेस सिग्नल रेंज से बाहर जाते हैं, तो connectivity धीमी हो जाती है, सिग्नल ड्राप होने लगते हैं, और अंततः सही वायरलेस सिग्नल नहीं मिल पाने के कारण आपका मोबाइल या लैपटॉप नेटवर्क से बाहर हो जाता है। तो यहाँ पर Repeater ही वह नेटवर्क डिवाइस होता है, जो आपके धीमे या कम वायरलेस सिग्नल को catch कर आगे उसकी सिग्नल क्षमता और सिग्नल क्षेत्र को बढ़ा देता है, चलिए जानते हैं, कैसे ?  

रिपीटर क्या होता है? Repeater in computer network in hindi

Repeater एक नेटवर्किंग डिवाइस है, इसे range extender, WiFi extender और वाई-फाई Signal booster भी कहा जाता है। यह OSI लेयर की फर्स्ट लेयर यानि Physical layer पर ऑपरेट करता है। रिपीटर का काम वाई-फाई सिग्नल को Receive कर उन्हें फिर से regenerate करना है, ताकि signal strength को increase किया जा सके और वाई-फाई coverage area को बढ़ाया जा सके। 

जब भी किसी बिल्डिंग, ऑफिस, स्कूल या किसी वेयरहाउस के बड़े और फैले हुवे एरिया में Wireless coverage देना हो, तो ऐसे में हर एक स्थान तक strong वाई-फाई सिग्नल को पहुँचाना काफी मुश्किल काम होता है, तब ऐसी स्थति में Repeater डिवाइस को उपयोग में लाया जाता है।

यह पीछे से प्राप्त राऊटर या एक्सेस पॉइंट के Signals को Receive कर उन्हें फिर से regenerate करता है, ताकि signal range को बढ़ाया जा सके। रिपीटर same network को extend करता है, यानि यह बस डाउन हो रहे वायरलेस सिग्नल को boost करने का काम करता है, आप चाहें तो रिपीटर में राऊटर की ही same SSID रख सकते हैं, या खुद की भी कोई  दूसरी SSID बना सकते हैं। 

रिपीटर कैसे काम करता है? how does repeater work

जिस प्रकार मार्किट में राऊटर, मॉडेम, एक्सेस पॉइंट इत्यादि जैसे विभिन्न वाई-फाई डिवाइस मौजूद हैं, उसी प्रकार Repeater या WiFi extender भी उपलब्ध हैं, बस यह User की आवश्यकता पर निर्भर करता है, की उसे किस डिवाइस की जरुरत है।रिपीटर का कार्य राऊटर या एक्सेस पॉइंट से बिलकुल अलग होता है, इसे पहले से तैयार वायरलेस नेटवर्क के भीतर उपयोग किया जाता है, जहाँ पर यह हलके हो गए वाई-फाई सिग्नल को boost-up करने का काम करता है।

पहले यह राऊटर से प्राप्त वायरलेस signals को रिसीव करता है, और फिर धीमे पड़ गए उन सिग्नल्स को एक बार फिर से regenerate करता है, ताकि उन signals को अधिक दूरी तक पहुँचाया जा सके।

रिपीटर को कैसे connect करें?

रिपीटर को वायरलेस नेटवर्क से कनेक्ट करने या राऊटर से जोड़ने के लिए आम तोर पर नेटवर्क केबल का उपयोग नहीं किया जाता है, बल्कि इसे WiFi के माध्यम से ही दूसरी वायरलेस डिवाइस से कनेक्ट किया जाता है। इसके लिए बस रिपीटर को power on करने की आवश्यकता होती है, और फिर कंप्यूटर पर Repeater Panel को एक्सेस कर वहाँ से उसे existing WiFi से connect कर दिया जाता है, जिसके बाद रिपीटर अपने वायरलेस सिग्नल द्वारा उस existing wifi को आगे बढ़ाने का काम करता है। 

इसके साथ-साथ आवश्यकता पड़ने पर रिपीटर द्वारा आप किसी डिवाइस को LAN Cable से जोड़कर भी इंटरनेट उपलब्ध करा सकते हैं, चलिए उदाहरण द्वारा समझते हैं। मान लीजिये यदि आपको बिल्डिंग A से बिल्डिंग B को वायरलेस कनेक्टिविटी देनी है, लेकिन बिल्डिंग A पर इनस्टॉल राऊटर के वायरलेस सिग्नल बिल्डिंग B तक नहीं पहुँच पा रहे हैं, तो ऐसे में आप बिल्डिंग A और B के बीच में एक Repeater configure कर सकते हैं, जो बिल्डिंग A से सिग्नल रिसीव करेगा और उस सिग्नल को boost कर बिल्डिंग B तक पहुंचाएगा। 

दूसरा केस यह है, की मान लीजिये यदि बिल्डिंग A से बिल्डिंग B तक वायरलेस सिग्नल पहुँच रहे हैं, और बिल्डिंग B में स्थित DVR या कोई दूसरी डिवाइस को आपने इंटरनेट से जोड़ना है, लेकिन इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए उस डिवाइस में सिर्फ ईथरनेट पोर्ट मौजूद है, यानि LAN cable के द्वारा ही उस डिवाइस को इंटरनेट कनेक्टिविटी दी जा सकती है, तो यहाँ पर रिपीटर द्वारा इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। 

इसके लिए आपको पहले रिपीटर को कॉन्फ़िगर कर बिल्डिंग A में स्थित राऊटर से कनेक्ट करना होगा और फिर रिपीटर के पीछे मौजूद Ethernet port से DVR पर मौजूद ethernet port को एक पैच केबल के माध्यम से जोड़ना होगा, जिसके बाद DVR को इंटरनेट कनेक्टिविटी मिल जाएगी। 

Advantage & disadvantage of repeater in Hindi

रिपीटर के कुछ फायदे 

:- Repeater द्वारा वायरलेस नेटवर्क क्षेत्र का आसानी से विस्तार किया जा सकता है।
:- इसे कॉन्फ़िगर करना काफी आसान होता है।
:- रिपीटर द्वारा डाउन हो रहे वायरलेस सिग्नल को boost किया जा सकता है। 
:- यह दूसरे मेहेंगे वायरलेस डिवाइस की तुलना में cost effective होता है। 

रिपीटर के कुछ नुकसान 

:- इसका सबसे बढ़ा नुकसान यह है, की इसमें नेटवर्क स्पीड काफी स्लो मिलती है, यानि वह स्पीड डायरेक्ट कनेक्शन की तुलना में काफी स्लो होती है। 

:- नेटवर्क में सिर्फ कुछ limited संख्या में ही रिपीटर इनस्टॉल किए जा सकते हैं, तैय संख्या से अधिक रिपीटर इनस्टॉल करना network collison का कारण बनता है। 

निवेदन

आपने जाना रिपीटर क्या होता है, और इसके फायदे और नुकसान क्या हैं, Repeater in computer network in hindi, उम्मीद है, जानकारी आपको ज्ञानवर्धक लगी होगी। यदि आपको जानकारी अच्छी लगी है, तो इसे दूसरों से भी साँझा करें। 

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