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Secure electronic transaction hindi | (SET) क्या है

हेलो दोस्तों आज का यह पोस्ट सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन के बारे में है, इसमें आप जानेंगे सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन क्या होता है, Secure electronic transaction (SET) in hindi और यह कैसे काम करता है।

ईकॉमर्स वेबसाइट पर खरीदारी करना आज चलन में है, और यह तभी सफल हो पाया है, जब लोगों का ईकॉमर्स पर भरोसा बढ़ा है। आप ईकॉमर्स वेबसाइट पर जाते हैं, और अपनी पसंद अनुसार खरीदारी करते हैं, और कार्ड द्वारा ऑनलाइन ही पेमेंट भी कर देते हैं।

तो ऐसी Online transection को सुरक्षित बनाए रखने के लिए ईकॉमर्स वेबसाइट विभिन्न Security protocol का उपयोग करती आई हैं, जिनमे से एक Secure electronic transection (SET) भी है।  

Secure electronic transaction in hindi | (SET) क्या है

सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन जिसे short में (SET) कहा जाता है, यह एक Security protocol है, जिसका उपयोग इंटरनेट पर की जाने वाली transections की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। SET का उपयोग आम तोर पर E-commerce websites द्वारा किया जाता है, जो अपनी डेबिट और क्रेडिट कार्ड की इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन्स की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए इस Security protocol का उपयोग करते हैं, यानि यह सिक्योरिटी प्रोटोकॉल कार्ड द्वारा की जाने वाली  इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।

SET कोई Payment gateway नहीं है, और ना ही यह कोई ऐसा सिस्टम है, जिससे electronic payment की जाती है, बल्कि यह एक Security protocol है, जो कार्ड द्वारा होने वाली इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट को सुरक्षा प्रदान करता है। यह कार्ड की personal information को पूरी तरह से ब्लॉक कर देता है, ताकि हैकर्स या किसी दूसरे व्यक्ति तक card holder की पर्सनल जानकारी ना पहुँच सके। 

यहाँ तक की Merchant तक भी कार्ड होल्डर की व्यक्तिगत जानकारी नहीं पहुँच पाती है, बल्कि Verification और authentication के लिए यह पूरी जानकारी कार्ड होल्डर और क्रेडिट कार्ड कंपनी के बीच ही ट्रांसफर होती है।

sET की शुरुवात 1990 के दशक में E-commerce के बढ़ते चलन और ऑनलाइन ट्रांसेक्शन की जरूरतों को देखते हुवे किया गया था, फिर 1 फरवरी 1996 में SET प्रोटोकॉल को लांच कर दिया गया। शुरुवाती दौर में इसे डेवेलोप करने में विभिन्न कंपनियों ने एक ग्रुप के रूप में काम किया जिसमे Microsoft, IBM, Verisign, Netscape जैसी बड़ी कंपनियां शामिल थी। 

सभी कंपनियों ने अपनी-अपनी टेक्नोलॉजी SET के लिए प्रदान की, जैसे Microsoft ने (STT) Secure transection technology इसके लिए प्रदान की, वहीँ वेब सर्विसेज वाली कंपनी Netscape द्वारा SSL टेक्नोलॉजी को SET के लिए प्रदान किया वहीँ SET के डिज़ाइन में अहम् भूमिका Visa और MasterCard कंपनी की रही जिनका एक मुख्य लक्ष्य था की किस प्रकार इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन के लिए वेब ब्राउज़र को सुरक्षित बनाए जाए।

बाद में एक दूसरे सिक्योरिटी प्रोटोकॉल 3D Secure द्वारा SET को replace कर दिया गया, यह एक अधिक सुरक्षित और easy to use सिक्योरिटी प्रोटोकॉल था, जिसे VISA द्वारा डिज़ाइन और डेवेलोप किया गया था, और फिर धीरे-धीरे दूसरी कार्ड कंपनियों ने 3D secure प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।   

(SET) में निम्नलिखित participants शामिल रहते हैं 

  1. Card Holder :- वह व्यक्ति जिसके पास क्रेडिट या डेबिट कार्ड है, यानि खरीदार जो सामान खरीदता है।  

  2. Merchant :- वह कंपनी या व्यक्ति जिससे सामान ख़रीदा जा रहा है, यानि जो सामान बेच रहा है।
     
  3. Issuer :- कार्ड धारक का बैंक जिसने उसे कार्ड issue किया है। 

  4. Acquirer :- सामान बेच रहे व्यक्ति या कंपनी से जुड़ा Financial institution जो कार्ड होल्डर द्वारा की जा रही पेमेंट को Accept करेगा। यह विभिन्न कार्ड्स की पेमेंट को एक्सेप्ट करने में सक्षम होता है। 

  5. Payment gateway :- वह सर्विस जो कार्ड होल्डर द्वारा की जा रही पेमेंट को प्रोसेस करेगी। 

  6. Certificate authority :- वह विश्वसनीय थर्ड पार्टी जो कार्ड होल्डर, मर्चेंट थता पेमेंट गेटवे तीनो को public-key certificates प्रदान करती है। 

(SET) सिक्योर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन कैसे काम करता है

(SET) द्वारा उन सभी पार्टियों को सुरक्षित रखा जाता है, थता उनकी गोपनीयता का ध्यान रखा जाता है, जो इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन में शामिल रहती हैं। एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसेक्शन में SET की क्या भूमिका रहती है, चलिए स्टेप्स में समझते हैं। 

  1. ग्राहक के पास उसके बैंक द्वारा प्रदान किया गया क्रेडिट कार्ड है। 

  2. ग्राहक ईकॉमर्स वेबसाइट पर जाता है, और वहाँ से कुछ खरीदता है, आर्डर करता है, और यहीं से SET Process एक्टिवेट हो जाता है। 

  3. अब SET ग्राहक के आर्डर थता पेमेंट इनफार्मेशन को मर्चेंट को भेजता है। 

  4. अब मर्चेंट ग्रहक के आर्डर इनफार्मेशन को तो अपने पास रखता है, लेकिन पेमेंट इन्फोर्मशन को अपने बैंक को फॉरवर्ड कर देता है। 

  5. इसके बाद मर्चेंट का बैंक ग्राहक की पेमेंट इनफार्मेशन के आधार पर उसके क्रेडिट कार्ड की पूरी जानकारी जैसे कार्ड किसके नाम पर इशू है, उसकी एक्सपीरिंग डेट, क्रेडिट लिमिट इत्यादि कार्ड Issuer से चेक करता है। 

  6. Issuer उस जानकारी में सब कुछ सही पाए जाने पर मर्चेंट के बैंक को पेमेंट के लिए Authorize करता है। 

  7. मर्चेंट का बैंक उस इनफार्मेशन को मर्चेंट को भेजता है। 

  8. अब मर्चेंट उस आर्डर को पूरा करता है, और ग्राहक को उस आर्डर का कन्फर्मेशन भेज देता है। 

  9. इसके बाद मर्चेंट पेमेंट के लिए request प्रोसेस करता है, और मर्चेंट बैंक में ट्रांसेक्शन हो जाती है। 
     
  10. इसके बाद Issuer द्वारा ग्राहक को उस purchase के against बिल (Invoice) भेज दिया जाता है।  

 

तो दोस्तों आपने जाना SET क्या होता है, Secure electronic transaction hindi और यह कैसे काम करता है। हमें उम्मीद है, इस पोस्ट द्वारा आपको (SET) के बारे में काफी कुछ सिखने को मिला होगा। यदि जानकारी ज्ञानवर्धक और अच्छी लगी है, तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें। 

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