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What are the types of CRM in hindi | CRM के प्रकार क्या हैं

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आप CRM के प्रकार (Types of CRM in hindi) के बारे में जानने वाले हैं, जिसमे हम बिलकुल आसान शब्दों में CRM के प्रकार और उनके उपयोग को समझेंगे। 

बिज़नेस चाहे जैसा भी हो छोटा या बड़ा उसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, उसके ग्राहक (Customers) यदि ग्राहक संतुष्ट है, बिज़नेस अपने ग्राहक की पूरी जानकारी रखता है, उनकी आवश्यकता को समझता है, उनके संपर्क में रहता है, और आवश्यकता पढ़ने पर ग्राहक को सही सर्विस उपलब्ध करवाता है, तो बिज़नेस और ग्राहक के बीच एक अच्छा रिलेशनशिप बन पाता है, जो की बिज़नेस की तरक्की का कारण भी बनता है। 

लेकिन एक बिज़नेस के लिए अपने ग्राहकों की आकांक्षाओं में हमेसा खरा उतरना आसान काम नहीं होता, जहाँ पर उनके लिए हर एक ग्राहक की जानकारी रखना, उनके संपर्क में रहना, सही ग्राहक को सही समय पर सही इनफार्मेशन दे पाना, बहुत ही मुश्किल काम है।

तो बिज़नेस की इसी मुश्किल का हल CRM (Customer relationship management) सॉफ्टवेयर है, जो उन्हें उनके ग्राहकों से संपर्क बनाए रखने में मदद करता है। CRM के अंतर्गत एक बिज़नेस के अपने ग्राहकों से की जाने वाली बातचीत के सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाता है, चाहे वह sales से जुड़ी बातचीत हो या कोई service request हो हर छोटी से छोटी जानकारी CRM सॉफ्टवेयर से होकर गुजरती है।

कुल मिलाकर CRM एक बिज़नेस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर है, जिसके द्वारा बिज़नेस अपने ग्राहकों से जुड़ा रहता है, सर्विस request को मैनेज करता है, Sales से जुड़ी email campaigns को automate करता है, डाटा के आधार पर customer behavior को analyze कर सकता है, नए ग्राहकों का पता लगा सकता है, थता CRM द्वारा संभावित sale का अनुमान भी लगाया जा सकता है। 

CRM से जुड़ी विस्तृत जानकारी के लिए आप हमारी पिछली पोस्ट CRM क्या है, पढ़ सकते हैं, तो चलिए अब जानते हैं, CRM के प्रकार क्या हैं, types of CRM in hindi

Types of CRM in hindi | CRM के प्रकार

CRM सॉफ्टवेयर के मुख्यतः तीन प्रकार हैं, Collaborative CRM system, Operational CRM system और Analytical CRM system, तो चलिए CRM के इन तीनो प्रकारों को एक-एक कर समझते हैं। 

Collaborative CRM system :- यदि एक आम बिज़नेस कार्यप्रणाली की बात की जाए तो वहाँ पर विभिन्न डिपार्टमेंट्स के बीच ग्राहक से जुड़ी किसी भी जानकारी को आपस में शेयर करने की परंपरा नहीं होती है, यानि अगर मार्केटिंग टीम के पास किसी ग्राहक की जानकारी है, तो वह सपोर्ट टीम के पास या सेल्स टीम के पास नहीं है, इसी प्रकार यदि सपोर्ट टीम के पास जानकारी है, तो वह सेल्स टीम के पास नहीं है।

कई बड़े व्यापारों में तो डिपार्टमेंट के भीतर भी डिपार्टमेंट होते हैं, जो अलग-अलग प्रोडक्ट पर काम करते हैं, तो ऐसे व्यापार के लिए अपने ग्राहक को एक अच्छा अनुभव प्रदान कर पाना बहुत मुश्किल काम है, जिससे व्यापार की साख तो ख़राब होती ही है, साथ ही व्यापार अपने ग्राहक से कभी जुड़ नहीं पाता है। 

तो Collaborative CRM इस समस्या का एक आसान समाधान है, इसे कई बार strategic CRM भी कहा जाता है, जो व्यापार में डिपार्टमेंट्स के बीच information sharing में आ रहे gap को भरने का काम करता है। इसके द्वारा हर एक Customer की information को वभिन्न डिपार्टमेंट जैसे Sales team, marketing team, technical और support team इत्यादि सभी के साथ एक ही समय पर शेयर किया जा सकता है।

यानि अगर सपोर्ट टीम की ग्राहक से अभी-अभी बातचीत हुई है, तो सपोर्ट टीम की उस बातचीत का feedback मार्केटिंग टीम को भी मिल जाता है, जिसके अनुसार फिर मार्केटिंग टीम ग्राहक की आवश्यकता को समझ लेती है, और ग्राहक को सही समय पर सही प्रोडक्ट या सर्विस के लिए approach कर सकती है। 

Collaborative CRM में सभी डिपार्टमेंट्स के पास अपने हर एक ग्राहक की Up to date जानकारी उपलब्ध रहती है, यानि जो जानकारी टेक्निकल सपोर्ट एजेंट ग्राहक से एकत्र कर रहा है, वह जानकारी उसी वक्त मार्केटिंग या सेल्स डिपार्टमेंट के पास भी जा रही होती है। इसका यह फायदा है, की सभी डिपार्टमेंट के पास ग्राहक की updated रिपोर्ट उपलब्ध होती है, सभी डिपार्टमेंट्स मिल कर काम कर पाते हैं, सभी को यह पता चल पाता है, की काम कहा तक हो गया है, और यदि रुका है, तो उसके क्या कारण हैं। 

यानि कार्यों में ढीलापन होना बंद हो जाता है, और साथ ही ग्राहक को भी अलग-अलग सपोर्ट एजेंट से बात करते समय एक ही जानकारी बार-बार नहीं देनी पड़ती है। यदि एक वाक्य में कहा जाए तो Collaborative CRM डिपार्टमेंट्स या टीम के सदस्यों को जोड़ने और मिलकर काम करने की सुविधा प्रदान करता है। 

Operational CRM system :- ऑपरेशनल CRM ग्राहक से जुड़ी प्रक्रियाओं जैसे marketing, selling और service पर आधारित है। इस CRM का मुख्य उद्देश्य leads उत्पन्न करना, उन लीडस् को contacts में बदलना, उनसे जुड़ी जरुरी जानकारीयां इखट्टा करना तथा ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करना इत्यादि है, यानि आप यह कह सकते हैं, की ऑपरेशनल सी-आर-ऍम मार्केटिंग, सेल्स थता कस्टमर सर्विस तीनों डिपार्टमेंट्स को वह क्षमता प्रदान करता है, की वे अपने ग्राहकों को उच्च स्तरीय सेवाएं प्रदान कर सकें। 

ऑपरेशनल CRM के अंतर्गत यह तीन Automation feature शामिल रहते हैं, Marketing automation, sales automation, service automation तो चलिए इन तीनों को समझते हैं। 

मार्केटिंग ऑटोमेशन 
इसके अंतर्गत बिज़नेस की मार्केटिंग रणनीतियों को implement किया जाता है। मार्केटिंग ऑटोमेशन का मुख्य उद्देश्य उन बेहतर तरीकों की तलाश कर उन्हें लागु करना होता है, जिनसे संभावित ग्राहकों का पता लगाया जा सके थता उन्हें सही समय पर सही प्रोडक्ट offer किए जा सके। मार्केटिंग ऑटोमेशन के अंतर्गत कुछ प्रमुख modules जैसे Campaign management और event based marketing इत्यादि शामिल रहते हैं, जिनमे emails, phone calls, meetings, ads और social media इत्यादि द्वारा ग्राहकों तक पहुँचा जाता है, वहीँ इवेंट मार्केटिंग में कई खास मौकों पर ग्राहकों तक पहुँचने के तरीके अपनाए जाते हैं। 

सेल्स ऑटोमेशन 
सेल्स ऑटोमेशन में बिज़नेस की सेल प्रक्रिया को automate किया जाता है, यानि selling process में कुछ तैय standards set कर दिए जाते हैं, जिनसे नए संभावित ग्राहकों को प्राप्त किया जा सके, और साथ ही पुराने ग्राहकों को भी बेहतर तरीके से डील कीया जा सके।

इसमें ग्राहकों को बेहतर तरीके से हैंडल करने के लिए वभिन्न modules मौजूद रहते हैं, जैसे lead management, contact management, Quotation & proposal management इत्यादि, जिससे सेल की पूरी प्रक्रिया को इन तैय modules से होकर गुजारा जाता है, यानि सेल्स ऑटोमेशन में sales से जुड़ी पूरी Information को कुछ इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है, की ग्राहकों  की जुरूरतों को समझते हुवे अधिक से अधिक सेल की जा सके। 

Analytical CRM system :-
एनालिटिकल CRM का उपयोग डाटा एनालिसिस के लिए किया जाता है, जिसमे बिज़नेस अपने ग्राहक के साथ हुवे हर एक interaction से जुड़े डाटा को विभिन्न श्रोतों से collect करता है, उसे प्रोसेस करता है। प्रोसेसिंग के बाद डाटा में से काम की जानकारियाँ निकाली जाती हैं, जिससे ग्राहक की पसंद ना पसंद, उनकी जरूरतों थता उनके व्यवहार को समझा जा सके और उन्हें पहले से भी बेहतर सेवाएं दी जा सकें।

डाटा एनालिसिस के बाद ही बिज़नेस के हाथ वे सभी अंदरूनी जानकारियाँ लग पाती हैं, जिनके आधार पर बिज़नेस का top management अपने फैसले लेता है, की उन्हें किस ओर काम करने की जरुरत है, और किस प्रकार वे अपनी sale और व्यापार को पहले से बड़ा कर सकते हैं। कस्टमर से collect किया डाटा मुख्यतः तीन प्रकार का हो सकता है, Sale से जुड़ा डाटा, marketing से जुड़ा डाटा और finance से जुड़ा डाटा इत्यादि। 


दोस्तों हमें उम्मीद है, CRM के इन तीनो प्रकार (Types of CRM in hindi) को आप आसानी से समझ गए होंगे, यदि इस पोस्ट से जुड़े आपके कोई सवाल या सुझाव हैं, तो नीचे कमेंट द्वारा आप हमें बता सकते हैं। 

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