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Internet protocol in hindi

(IP) Internet protocol in Hindi, इंटरनेट प्रोटोकॉल क्या है।

इंटरनेट या कंप्यूटर का उपयोग करते समय आपने IP (Internet protocol) का नाम जरूर सुना होगा, क्या आप जानना चाहते हैं, इंटरनेट प्रोटोकॉल क्या है, Internet protocol in Hindi तो चलिए इसे समझते हैं। 

सामान्य जीवन में जब हम किसी को पोस्ट भेजते हैं तो उसके लिए हमें उस व्यक्ति के पोस्टल एड्रेस की आवश्यकता पड़ती है, ताकि हमारे द्वारा भेजा गया पोस्ट सही एड्रेस पर पहुँच सके यानि उसी व्यक्ति को प्राप्त हो सके जिसे हमने भेजा है।

ठीक इसी प्रकार Internet की दुनिया में भी एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक जानकारी (Data) भेजने के लिए एड्रेस की आवश्यकता पड़ती है, थता नेटवर्क के कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है, तो इस प्रकार के सभी कार्यों को यहाँ पर (IP) Internet protocol द्वारा पूरा किया जाता है, तो चलिए इसे समझते हैं की यह किस प्रकार कार्य करता है। 

(IP) Internet protocol in Hindi

(IP) इंटरनेट प्रोटोकॉल नियमों का एक समूह है जिसके द्वारा इंटरनेट पर Information यानि data को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक पहुँचाया जाता है,

दूसरे शब्दो में कहें तो Internet protocol वह प्रोटोकॉल है जिसके द्वारा डाटा पैकेट्स की Routing थता addressing की जाती है, ताकि वह डाटा पैकेट्स नेटवर्क में travel कर सके और अपने गंतव्य तक पहुँच सके। 

नेटवर्क या इंटरनेट से जुड़े हर एक कंप्यूटर का अपना एक अलग IP address होता है, जो उसे दूसरे सभी कम्प्यूटरों से बिलकुल अलग पहचान दिलाता है। इंटरनेट प्रोटोकॉल का कार्य इंटरनेट पर जुड़े एक कंप्यूटर से दूसरे तक डाटा को send करना है, जिसके लिए यह IP Address का उपयोग करता है।

Computer’s के बीच डाटा को भेजे जाने से पूर्व छोटे-छोटे टुकड़ो में बाँट दिया जाता है, डाटा के इन छोटे टुकड़ो को datagram या packets कहा जाता है। डाटा को इन छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटने से यह डाटा इंटरनेट पर आसानी से travel कर सकता है, और भेजे जा रहे हर एक data packet के साथ Source computer थता destination computer दोनों की ही IP Information attach रहती है,

ताकि जुड़ी हुई इस IP Information के आधार पर Router डाटा packet की पहचान कर सके और डाटा पैकेट को उसकी सही destination पर send कर सके।   

इंटरनेट पर travel कर रहे data packets का root निर्धारित नहीं होता है, इन्हे अलग-अलग route द्वारा send किया जा सकता है, उसी प्रकार यह भी निर्धारित नहीं होता है की अपने गंतव्य (destination) पर यह डाटा पैकेट्स उसी (order) क्रम में पहुंचेगे जिस प्रकार इन्हे send किया गया था,

यानि डाटा पैकेट्स अपने route के अनुसार आगे पीछे पहुँच सकते हैं, जिन्हे अंत में TCP (Transmission control protocol) द्वारा फिर से उसी क्रम में ला दिया जाता है, यानि IP प्रोटोकॉल का कार्य सिर्फ डाटा पैकेट्स को डिलीवर करना है, जबकि उन्हें फिर से सही क्रम में TCP प्रोटोकॉल द्वारा लाया जाता है, इसीलिए इन्हे TCP/IP प्रोटोकॉल के नाम से पुकारा जाता है, जो की TCP/IP protocol suit का हिस्सा है।  

Internet protocol (IP) Versions (IPv4 थता IPv6)

आपने जाना किस प्रकार इंटरनेट प्रोटोकॉल डाटा पैकेट्स को IP address की मदद से उसके गंतव्य (destination computer) तक पहुँचाता है। IP address इंटरनेट या नेटवर्क में किसी कंप्यूटर का एड्रेस होता है और नेटवर्क में हर एक कंप्यूटर का IP एड्रेस दूसरे सभी कम्प्यूटरों से बिलकुल अलग होता है। 

IP एड्रेस के दो virsion हैं (IPv4) internet protocol version 4 और (IPv6) internet protocol version 6,


(IPv4) IP का सबसे पहला version है, जिसकी शुरुवात पहली बार 1983 में ARPNET में की गई थी, तब से लेकर आज तक इसका काफी ज्यादा उपयोग किया गया है और इसीलिए यह आज सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला IP Version बन गया है।

पिछले काफी समय से जिस प्रकार टेक्नोलॉजी क्षेत्र में नए आविष्कार हुए हैं थता Internet of things (IOT) का बोलबाला हो गया है, जिसमे हर एक डिवाइस को इंटरनेट की आवश्यकता है, इसी के फलस्वरूप नए IP एड्रेस की काफी ज्यादा मांग बढ़ गई थी, जो (IPv4) द्वारा अब पूरी नहीं की जा सकती थी, यानि नए और अलग IP एड्रेस की कमी होने लगी थी, इसी कमी को पूरा करने के लिए (IPv6) को लाया गया था।  

(IPv6) IP की बिलकुल नई generation है, इसे (IPv4) के विकल्प के रूप में तैयार किया गया था, हालाँकि अभी भी (IPv4) का काफी उपयोग हो रहा है, लेकिन धीरे-धीरे लोग (IPv6) में पूरी तरह से shift हो जाएंगे। 


(IPv6) की शुरुवात Internet engineering task force (IETF) द्वारा 1994 में कर दी गई थी। (IPv6) में (IPv4) की तुलना में नए IP एड्रेस की काफी बड़ी संख्या उपलब्ध है, क्योंकि यह (IPv4) के 32 bits की तुलना में 128-bit hexadecimal IP एड्रेस distribute कर सकता है, यानि इसमें numbers और alphabet दोनों का ही उपयोग किया जाता है, जिससे IP address की एक बड़ी संख्या तैयार की जा सकती है।  

चलिए (IPv4) थता (IPv6) के बीच के मुख्य difference को समझते हैं। 

  • (IPv4) 
    :- यह 32 बिट IP एड्रेस है।

    :- यह एक numeric एड्रेस होता है जिसमे binary bits को डॉट (.) द्वारा अलग किया जाता है। उदाहरण  (192.159.252.94)

    :- इसमें 12 Header field होते हैं।
    :- यह ब्रॉडकास्ट को सपोर्ट करता है। 
    :- यह (VLSM) वर्चुअल लेंथ सबनेट मास्क को सपोर्ट करता है। 
    :- इसमें packet size 576 byte required होता है। 
    :- DHCP थता Manual configuration को सपोर्ट करता है। 

  • (IPv6 ) 
    :- यह 128 बिट IP एड्रेस है। 

    :- यह एक alphanumeric एड्रेस होता है जिसमे बाइनरी bits को कोलन (:) द्वारा अलग किया जाता है। उदाहरण (2FFE:C200:9432:DF88:0023:5648:AADF:00FD)

    :- इसमें 8 header field होते हैं। 
    :- यह ब्रॉडकास्ट सपोर्ट नहीं करता है, बल्कि मल्टीकास्ट रूटिंग को सपोर्ट करता है। 
    :- यह (VLSM) को सपोर्ट नहीं करता है। 
    :- इसमें packet size 1208 byte required होता है, बिना fragmentation के।
    :- यह Auto configuration को सपोर्ट करता है। 

अंतिम शब्द

दोस्तों इस लेख से आपने जाना (IP) इंटरनेट प्रोटोकॉल क्या है, Internet protocol in hindi थता यह किस प्रकार कार्य करता है। 

साथ ही आपने IPv4 थता IPv6 के बारे में भी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जैसे IPv4 और IPv6 के बीच क्या difference है, और किस प्रकार नए IOT devices या smart devices की मांग के अनुसार IPv6 का उपयोग बढ़ता जा रहा है।  


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