You are currently viewing Cloud security क्या है? Cloud security in Hindi और यह क्यों जरुरी है।
Cloud security in hindi

Cloud security क्या है? Cloud security in Hindi और यह क्यों जरुरी है।

हेलो दोस्तों क्या आपको क्लाउड कंप्यूटिंग की जानकारी है, क्योंकि यह जानने से पहले की Cloud security क्या है, (Cloud security in Hindi) आपको क्लाउड कंप्यूटिंग को समझना होगा। 

क्लाउड कंप्यूटिंग का मतलब कोई भी डाटा जिसे आप अपने कंप्यूटर की हार्डडिस्क में स्टोर करने के बजाय इंटरनेट पर store करते हैं, या ऐसे प्रोग्राम या सर्विसेज जिन्हे आप इंटरनेट की मदद से access कर पाते हैं, वह सब क्लाउड कंप्यूटिंग के अंतर्गत आते हैं।

यदि एक वाक्य में कहा जाए तो क्लाउड कंप्यूटिंग यानि वह सभी कंप्यूटिंग सर्विसेज जैसे Servers, Storage, Software’s, इत्यादि जिन्हे आप इंटरनेट के द्वारा एक्सेस करते हैं, वह क्लाउड कंप्यूटिंग कहलाती है।

यदि आपको क्लाउड कंप्यूटिंग की विस्तृत जानकारी चाहिए तो आप हमारा क्लाउड कंप्यूटिंग  पर लिखा हुवा पोस्ट पढ़ सकते हैं। अब बात आती है, की Cloud security क्या होता है, तो चलिए इसे समझते हैं। 

क्लाउड सिक्योरिटी क्या है। Cloud security in Hindi

क्लाउड कंप्यूटिंग सिस्टम की सिक्योरिटी ही क्लाउड सिक्योरिटी कहलाती है। क्लाउड सिक्योरिटी के अंतर्गत वह सभी policies, procedures, controls थता technologies शामिल होती हैं, जिनके गठजोड़ से क्लाउड आधारित सिस्टम की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाता है। 

सामान्य सी बात है, चलिए इसे उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिये यदि आप एक क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर हैं, जहाँ आप इंटरनेट पर Users को डाटा स्टोरेज की सर्विस प्रोवाइड करते हैं, या उनके सॉफ्टवेयर के लिए कोई एप्लीकेशन सर्वर प्रोवाइड करते हैं।

तो इंटरनेट पर ऐसी किसी भी प्रकार की सेवा या सर्विस को ठीक रूप से संचालित करने के लिए सबसे पहले आपको अपने Cloud platform को सुरक्षित बनाना होता है, यानि जिन सर्वर्स या ऍप्लिकेशन्स का एक्सेस आप users को देने जा रहे हैं, पहले उनको सुरक्षित करना होता है, ताकि साइबर अपराधियों द्वारा उन्हें किसी प्रकार का नुकसान ना पहुंचाया जा सके।  

यानि क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर द्वारा Cloud computing environment को सुरक्षित बनाने के लिए किया गया बंदोबस्त या उपाय ही Cloud security कहलाता है। 

Cloud security क्यों आवश्यक है।

आज एक आम user हो या कोई organization हर कोई किसी न किसी रूप में क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विसेज का उपयोग कर रहा है। क्लाउड कंप्यूटिंग की scalability, flexibility थता इसकी सुविधा के कारण आने वाले समय में क्लाउड कंप्यूटिंग Users की संख्या निसंदेह ही बढ़ेगी।

लेकिन जैसे-जैसे User क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विसेज का उपयोग करेंगे, तो वे क्लाउड पर अपना critical data भी स्टोर करेंगे, जिसमे कई confidential डाक्यूमेंट्स या business information इत्यादि हो सकते हैं, जो यदि किसी कारण लीक या डिलीट हो जाएं तो User को एक बड़ा नुकसान हो सकता है।

ऐसे में Cloud security का होना अति आवश्यक है, ताकि User को क्लाउड कंप्यूटिंग का पूरा फायदा मिल सके और वह बिना संकोच या डर के सुचारु रूप से कार्य कर सके।

कुछ मुख्य जोखिम जो क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विसेज का उपयोग करते समय आ सकते हैं, जैसे डाटा का चोरी हो जाना, बाहरी अनधिकृत व्यक्ति को कंपनी के डाटा का एक्सेस मिल जाना, malicious अटैक जैसे DDOS, या मैलवेयर संक्रमण हो जाना इत्यादि। तो इन सभी खतरों को क्लाउड सिक्योरिटी के उपयोग से कम किया जा सकता है।     

क्लाउड सिक्योरिटी के उपाय। Cloud security measures in Hindi

अब आप यह तो जान गए होंगे, की क्लाउड कंप्यूटिंग को सुरक्षित बनाए रखने के लिए क्लाउड सिक्योरिटी का उपयोग किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, की क्लाउड सिक्योरिटी के अंतर्गत कौन से ऐसे उपाय या तरीके अपनाए जाते हैं, जिनसे क्लाउड कंप्यूटिंग की सुरक्षा को बढ़ाया जा सके।

तो चलिए जानते हैं, वो कौन से तरीके हैं, जिनसे क्लाउड सिक्योरिटी को मजबूत किया जाता है। 

Multi-factor Authentication (MFA) Implementation:-

MFA का उपयोग किया जाता है। यह User की पेहचान को verify करने का तरीका है, जिसमे अलॉगरिथम का उपयोग किया जाता है, और कुछ तय methods से सही यूजर की पहचान की जाती है।

इसमें सिर्फ यूजर नाम या पासवर्ड से ही लॉगिन नहीं किया जाता है, बल्कि यूजर को दो या उस से अधिक तरीकों का उपयोग कर वेरीफाई किया जाता है, और यूजर की पेहचान वेरीफाई होने के बाद ही उसे एप्लीकेशन या डाटा का एक्सेस दिया जाता है। 

Limited rights:-

एक यूजर को सिर्फ उन्हीं एप्लीकेशन, फाइल्स या डाटा का एक्सेस दिया जाता है, जिसका वो उपयोग करता है, या जिसके लिए यूजर authorize है।

यदि किसी Users को पूरा एक्सेस दे दिया जाए, तो ऐसे में यूजर कभी गलती से या चाहकर किसी दूसरे के डाटा से छेड़-छाड़ कर सकता है, जिससे फाइल एडिट हो सकती है, या किन्ही गलत हाथों तक भी पहुँच सकती है।

सीमित अधिकार होने पर यदि यूजर के credentials किन्ही कारणों से हैकर्स तक पहुँच जाएँ तो भी वो डाटा को एक्सेस नहीं कर सकते हैं। इस लिए क्लाउड सर्विसेज का उपयोग करने वाले हर यूजर को डाटा एक्सेस के सीमित अधिकार दिए जाते हैं।

Data Encryption:-

डाटा को एन्क्रिप्ट कर के रखा जाता है, ताकि बिना एन्क्रिप्शन key के किसी को भी डाटा का एक्सेस ना प्राप्त हो सके। यदि किन्ही वजहों से हैकर आपके डाटा तब पहुँच भी जाता है, तो भी encrypted डाटा को खोलना या देखना संभव नहीं हो पाता है। 

कोई भी डाटा जो आपके कंप्यूटर या नेटवर्क से क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर के नेटवर्क तक पहुँचता है, वो एन्क्रिप्टेड होता है। इसके लिए VPN का या किसी और एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है, जो की यूजर को स्टैंडर्ड एन्क्रिप्शन की सुविधा उपलब्ध कर देता है।

Strong password:-

स्ट्रांग पासवर्ड एक सामान्य लेकिन बहुत ही महत्वपूर्ण प्रैक्टिस है, जिसका पालन यूजर को अपने लेवल पर करना चाहिए। यदि आपको पासवर्ड याद रखने में परेशानी होती है, या आप याद नहीं कर पाते हैं, तो इसके लिए आप पासवर्ड मैनेजमेंट सर्विस का भी उपयोग कर सकते हैं, जिसके द्वारा जटिल पासवर्ड तैयार किए जाते हैं। साथ ही अपने पासवर्ड में भी समय-समय पर बदलाव करते रहना चाहिए। 

Back up data:-

डाटा का बैकअप रखना हमेशा से एक महत्वपूर्ण और आवश्यक सुरक्षा निति रही है, उसी प्रकार यह क्लाउड कंप्यूटिंग सुरक्षा का भी एक महत्वपूर्ण स्टेप है, जिसका पालन यूजर को करना चाहिए। यदि किन्ही कारणों से क्लाउड पर रखा आपका data loss या corrupt होता है, तो आपके पास उसका बैकअप प्लान होना चाहिए। इसके लिए जरुरी है, की आप डाटा बैकअप का विकल्प भी रखें। 

Monitoring

क्लाउड मॉनिटरिंग क्लाउड सिक्योरिटी का एक अहम हिस्सा है। मार्किट में ऐसे कई टूल्स उपलब्ध हैं, जिनके उपयोग द्वारा किसी भी सेंट्रल लोकेशन से पुरे क्लाउड सिस्टम की कार्यप्रणाली पर नजर रखी जा सकती है।

इसके द्वारा क्लाउड कंप्यूटिंग पर हो रही गतिविधियों पर नजर बनाई जा सकती है, और होने वाले किसी भी हैकिंग अटैक या नेटवर्क समस्या का पता पहले ही लगाकर उससे निपटा जा सकता है। मॉनिटरिंग द्वारा जिन गतिविधियों पर नजर बनाई जा सकती है, उनमे से कुछ इस प्रकार हैं, जैसे sent/received network bytes, CPU utilization, traffic analysis, Configuration issue से जुड़े alerts इत्यादि।  

आपने पढ़ा क्लाउड सिक्योरिटी क्या है (Cloud security in Hindi) और यह क्यों आवश्यक है। यदि यह जानकारी आपको अच्छी लगी है, तो इसे दूसरों को भी शेयर करें।

Share this:

Leave a Reply