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स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है और यह कैसे काम करता है

पिछली पोस्ट में आपने स्टॉक मार्किट के बारे में जाना था, आज का यह पोस्ट स्टॉक एक्सचेंज के बारे में है, स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है, और यह कैसे काम करता है। अक्सर स्टॉक मार्किट और स्टॉक एक्सचेंज दोनों शब्दों को एक दूसरे के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है, लेकिन कई लोग इन दोनों के बीच के फर्क को नहीं समझ पाते हैं।

तो इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको स्टॉक मार्किट और स्टॉक एक्सचेंज दोनों के बीच क्या फर्क होता है, इसकी जानकारी हो जाएगी। 

स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है (What is Stock exchange in Hindi)

यह तो आप जानते ही होंगे की शेयर बाजार में शेयर ख़रीदे और बेचे जाते हैं, जहाँ सैकड़ों कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट होती है, और अपने शेयर उतारती हैं। निवेशक उन शेयर्स को खरीदकर एक प्रकार से उस कंपनी में निवेश करते हैं, और शेयर का दाम बढ़ने पर उन्हें बेच कर वे मुनाफा कमाते हैं। 

तो शेयर बाजार यानि स्टॉक मार्किट का यह पूरा काम काज Stock exchange के द्वारा ही संभव हो पाता है। स्टॉक एक्सचेंज ही स्टॉक मार्किट को वह इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करता है, जिसके द्वारा कोई कंपनी स्टॉक मार्किट में अपने शेयर्स ला पाती है, और निवेशक उन शेयर्स की ट्रेडिंग कर पाते हैं, यानि शेयर्स को खरीद और बेच पाते हैं। 

स्टॉक एक्सचेंज वह केंद्रीकृत (Centralized) स्थान होता है, जहाँ सार्वजानिक रूप से व्यापार करने वाली कंपनियाँ अपने शेयर्स उतारती हैं, और निवेशक उन शेयर्स को खरीदते और बेचते हैं, यानि स्टॉक एक्सचेंज कंपनियों और निवेशकों को एक साथ लाता है, और उन्हें वह मंच (Platform) प्रदान करता है, जहाँ उनके बीच शेयर्स, बांड्स तथा दूसरी प्रतिभूतियों (Securities) की ट्रेडिंग हो सके। स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है, यह जानने के बाद चलिए अब जानते हैं, स्टॉक एक्सचेंज काम कैसे करता है। 

क्या स्टॉक एक्सचेंज खुद के पास शेयर रखता है

स्टॉक एक्सचेंज खुद के पास शेयर्स नहीं रखता है, बल्कि यह एक मार्किट के रूप में कार्य करता है, जहाँ शेयर्स के खरीदार और शेयर्स विक्रेता दोनों एक दूसरे से जुड़ते हैं। स्टॉक्स या शेयर्स को तभी ख़रीदा या बेचा जा सकता है, जब वह किसी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो। stock exchange के कुछ तैय नियम और कानून होते हैं, जिन्हे सेबी (SEBI) द्वारा निर्धारित किया जाता है। सेबी द्वारा तैय नियमों और दिशानिर्देशों का पालन कंपनी और निवेशक दोनों पक्षों को करना होता है, और उन्ही नियमों के अंतर्गत एक्सचेंज का पूरा काम काज होता है।

स्टॉक मार्किट और स्टॉक एक्सचेंज के बीच फर्क

यदि स्टॉक मार्किट और स्टॉक एक्सचेंज के बीच फर्क की बात की जाए तो स्टॉक मार्किट सभी प्रकार की स्टॉक ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक सामान्य शब्द है, जबकि स्टॉक एक्सचेंज वह मंच है, जहाँ इस ट्रेडिंग के लिए सुविधा और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान किया जाता है।

स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है

आसान भाषा में कहें तो जिस प्रकार एक सामान्य बाजार में चीजों को ख़रीदा और बेचा जाता है, यानि जहाँ सामान के buyers और sellers होते हैं, उसी प्रकार स्टॉक एक्सचेंज भी एक marketplace है, लेकिन यहाँ पर सामान के स्थान पर कंपनी के शेयर्स, बांड्स तथा दूसरी प्रतिभूतियां खरीदी और बेचीं जाती हैं। 

जब किसी कंपनी को बिज़नेस बढ़ाने या अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए फंड की आवश्यकता पड़ती है, तो ऐसे में कंपनी के पास दो विकल्प होते हैं, या तो वह बैंक से लोन ले, या फिर कंपनी खुद को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट कर आम पब्लिक के लिए अपने शेयर्स जारी करे। यदि कंपनी बैंक से लोन लेती है, तो ऐसे में कंपनी को लोन पर लगने वाला भारी ब्याज भी चुकाना पड़ता है, तो इस से बचने के लिए कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होकर आम पब्लिक के बीच अपने शेयर्स जारी करती है। पब्लिक उन शेयर्स को खरीदती है, और बदले में कंपनी को आवश्यक फंड प्राप्त हो जाता है। 

भारतीय स्टॉक एक्सचेंज की बात की जाए तो यह स्वतंत्र और पारदर्शी है, क्योंकि इसमें कोई बाजार निर्माता या विशेषज्ञ मौजूद नहीं है। भारत के स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग (Order-driven) आर्डर-संचालित होती है, जो की इलेक्ट्रॉनिक लिमिट आर्डर बुक पर आयोजित की जाती है, यानि यहाँ पर हर एक क्रेता और विक्रेता की जानकारी देखि जा सकती है, की वह किस कीमत पर कितने शेयर बेचना या खरीदना चाहता है, और बुक आर्डर एक प्रकार का डेटाबेस होता है, जिसे स्टॉक एक्सचेंज द्वारा मैंटेन किया जाता है। 

विभिन्न स्टॉक एक्सचेंज के नेटवर्क द्वारा ही स्टॉक मार्किट कार्य करता है, स्टॉक एक्सचेंज कंपनियों को फंड जुटाने, निवेशकों को ट्रेडिंग के लिए एक सुलभ और पारदर्शी मंच प्रदान करने, ऑर्डर्स को पास करने और उनका सेटलमेंट करने जैसे ढेरों कार्य करता है। भारत में इस वक्त 9 एक्टिव स्टॉक एक्सचेंज हैं, जिनमे से 2 मुख्य हैं, (BSE) बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और (NSE) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज। इन एक्सचेंज का नियंत्रण (SEBI) Securities and exchange board of India, यानि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड द्वारा किया जाता है, तो चलिए अब BSE और NSE के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

शेयर मार्किट में आईपीओ क्या होता है

कोई कंपनी जब पहली बार पब्लिक के बीच अपने शेयर्स उतारती है, तो उसे प्राइमरी मार्किट से होकर गुजरना होता है, यानि कंपनी पब्लिक के बीच सबसे पहले अपना (IPO) लेकर आती है। जब IPO के जरिये कंपनी के सभी शेयर्स पब्लिक को जारी हो जाते हैं, यानि शेयर्स बिक जाते हैं, तो फिर ख़रीदे गए उन शेयर्स की ट्रेडिंग का काम सेकेंडरी मार्किट यानि स्टॉक एक्सचेंज पर होता है। 

निवेशकों द्वारा की जाने वाली शेयर्स की buying और selling को स्टॉक एक्सचेंज ही मॉनिटर करता है, ताकि शेयर्स की डिमांड और सप्लाई का पता लगाया जा सके। डिमांड और सप्लाई के अनुरूप ही किसी शेयर की कीमत बढ़ती या घटती है, यदि किसी शेयर को ज्यादा से ज्यादा लोग खरीदना चाहते हैं, तो उसकी डिमांड और कीमत बढ़ती है, वहीँ शेयर के विक्रेता अधिक हैं, तो उसके दाम कम हो जाते हैं।  

भारतीय स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास क्या है

भारत में दो मुख्य स्टॉक एक्सचेंज हैं, BSE (Bombay stock exchange) और NSE (National stock exchange)

BSE (Bombay stock exchange)

यदि भारतीय स्टॉक एक्सचेंज के इतिहास की बात की जाए तो BSE भारत का और एशिया का पेहला और सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। यह दलाल स्ट्रीट मुंबई में स्थित है, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की शुरुवात 1875 में नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन के नाम से हुई थी। 

वैसे तो 1840 में ही भारत में शेयर बाजार की शुरुवात हो गई थी, जब मुंबई टाउन हॉल के पास बरगद के पेड़ के नीचे बैठ कर कुछ लोगों ने शेयरों का सौदा करना शुरू किया, जिसके बाद देखते ही देखते समय के साथ लोगों का शेयर बाजार की तरफ रुझान बढ़ा और निवेशक इसमें जुड़ते चले गए। इसके बाद जो भी लोग इसमें जुड़े थे, उन सब ने मिलकर नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन बनाया और मुंबई दलाल स्ट्रीट में अपना एक ऑफिस खोला जहाँ आज BSE स्थित है। 

147 साल पुराने इस स्टॉक एक्सचेंज ने भारतीय पूंजी बाजार और कॉर्पोरेट जगत को विकसित करने में अपनी अहम् भूमिका निभाई है। आज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की मार्किट कैपिटलाइजेशन 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक है, और इसमें लगभग 5500 से भी अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं। 

शुरुवाती दौर में BSE का सारा काम-काज जैसे शेयरों का लेन-देंन, आवंटन इत्यादि सब कुछ कागजी तोर पर किया जाता था, जिसमें प्रक्रिया पूरी होने में 5 से 6 महीनों तक का समय लग जाता था, लेकिन फिर 1995 में BSE का काम-काज कंप्यूटरीकृत  कर दिया गया, जिसके बाद काम में तेजी आई और पारदर्शिता भी बढ़ी। BSE का सूचकांक यानि बेंचमार्क इंडेक्स SENSEX है, इसे BSE30 भी कहा जाता है, BSE के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप इसकी वेबसाइट https://www.bseindia.com/ पर जा सकते हैं। 

(NSE) National stock exchange 

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पूंजीकरण के मामले में देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। NSE का मार्किट कैप 3.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक है, और इसमें 2000 से अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं। यह देश का पेहला स्टॉक एक्सचेंज था जिसने शेयर मार्किट में पेपर आधारित सिस्टम को समाप्त कर ऑटोमेटेड ट्रेडिंग की शुरुवात की थी, जिसके बाद स्टॉक मार्किट में पारदर्शिता आई और निवेशकों की संख्या में भी इजाफा हुवा, NSE का सूचकांक यानि बेंचमार्क इंडेक्स Nifty50 है। 

NSE की स्थापना करने का मकसद ही भारतीय शेयर बाजार को पारदर्शी बनाना था, ताकि शेयर मार्किट के प्रति लोगों में भरोसा जगे और निवेशक बिना भय के निवेश कर सकें, और अधिक जानकारी के लिए आप NSE की वेबसाइट  https://www.nseindia.com पर जा सकते हैं। 

अंतिम शब्द

आपने जाना स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है? और कैसे काम करता है, हमें उम्मीद है, दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि इस पोस्ट से जुड़े आपके कोई सवाल हैं, तो नीचे कमेंट करके आप हमें बता सकते हैं। 

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