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Pedagogy (शिक्षाशास्त्र) क्या है? शिक्षाशास्त्र का महत्व और सिद्धांत 

हेलो दोस्तों हमारी आज की पोस्ट में पेडागोजी के बारे में जानेंगे जैसे की पेडागोजी क्या है, (Pedagogy in Hindi) पेडागोजी का सिद्धांत क्या है, पेडागोजी का महत्व क्या है, आदि तो ध्यान से हमारी पूरी पोस्ट को पढ़िए जिससे आपको पेडागोजी से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल जाएं।

Pedagogy Meaning In Hindi

पेडगॉजी को हिंदी में शिक्षा शास्त्र या शिक्षणशास्त्र कहा जाता है और बच्चों को पढ़ाने की कला ही शिक्षाशास्त्र कहलाती है
पेडागोजी का अर्थ है, कि किस तरह आप बच्चों को पढ़ाते हैं, और बच्चों की जरूरत के हिसाब से उन्हें समझाने का कौन सा तरीकों का प्रयोग करते हैं, जिससे कि बच्चा आपके द्वारा पढ़ाए गए हर एक टॉपिक को आसानी से समझ सके।

पेडागोजी मुख्य रूप से तीन चीजों पर आधारित है। 

1- शिक्षण विधि
2- शिक्षण सिद्धांत
3- मूल्यांकन और फीडबैक

शिक्षण विधि
एक अध्यापक द्वारा किसी भी टॉपिक को समझाने के लिए कब कौन सा तरीका उपयोग करना है। एक शिक्षक में इस बात की समझ का होना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि उसको खुद से ही अलग-अलग विषयों को समझाने के लिए सबसे बेस्ट तरीके यूज करने हैं, जिससे कि बच्चे आसानी से अपने अध्यापक की बात को समझ सके और उनके द्वारा पढ़ाए गए विषय को भी आसानी से समझ जाएं।

शिक्षण सिद्धांत
जब भी व्यक्ति को अध्यापक बनने की ट्रेनिंग दी जाती है, तो उसे बहुत सारे शिक्षण सिद्धांत पढ़ाएं व सिखाए जाते हैं। जिनका उपयोग बच्चों को अलग-अलग टॉपिक समझाने हेतु किया जाता है, जिससे कि बच्चा कठिन से कठिन विषय को भी आसानी से समझ सके। 

मूल्यांकन और फीडबैक
अध्यापन के दौरान समय-समय पर बच्चों का मूल्यांकन करना जरूरी होता है, समय-समय पर उनके टेस्ट लेना और उन्हें फीडबैक देना जरूरी होता है, जिससे बच्चे मोटिवेट होते हैं, और अपनी पढ़ाई में और ज्यादा मेहनत करते हैं। यह छात्रों के प्रारंभिक व्यवहार के अध्ययन में सहायता करता है और छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए तैयार करता है।

शिक्षा शास्त्र का महत्व (Importance Of Pedagogy in Hindi)

शिक्षण में सुधार
अध्यापन के समय पेडागोजी के इस्तेमाल से शिक्षण में सुधार होता है। इससे विद्यार्थी किसी भी विषय को बड़ी ही आसानी से सीख हो और समझ पाते हैं।

प्रयोगात्मक शिक्षा को बढ़ावा देना
शिक्षा शास्त्र रचने वाली शिक्षा का अंत कर बच्चों को प्रैक्टिकल होना सिखाता है। इसमें नई स्किल्स के साथ बच्चों को पढ़ाया जाता है, जिससे बच्चा चीजों को रटने की जगह अच्छे से हमेशा के लिए सीख जाता है, और वह पढ़ाई के लिए उत्सुक रहता है। प्रयोगात्मक शिक्षा पढ़ाई को और ज्यादा रोचक बना देती है, जिससे बच्चे का मन पढ़ाई में लगा रहता है। 

अध्यापक एवं विद्यार्थी के मध्य कम्युनिकेशन सुधारना
पेडागोजी की सहायता से अध्यापक एवं विद्यार्थी के मध्य में कम्युनिकेशन सुधरता है, उनके बीच नए-नए टॉपिक को लेकर वार्तालाप होता है, जिससे अध्यापक विद्यार्थी को आसानी से समझ पाता है और उसे उसकी कमजोरी से उभार सकता है।

छात्रों का आपस में मिलजुल कर पढ़ाई करना
शिक्षा शास्त्र में छात्र आपस में मिलजुल कर पढ़ाई करते हैं, और किए गए कार्यों को साथ लेकर पूरा करते हैं। इस दौरान उन्हें एक दूसरे से नई-नई चीजें सीखने को मिलती है, उनका एक दूसरे के प्रति वार्तालाप और व्यवहार में भी सुधार होता है, साथ ही  इससे वह दूसरे व्यक्तियों से बात करने के तरीका भी सीखते हैं। 

शिक्षा शास्त्र के प्रकार (Types Of Pedagogy In Hindi)

social pedagogy (सामाजिक शिक्षा शास्त्र)
इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को सिर्फ व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से शिक्षक न करके उन्हें सामाजिक स्तर पर शिक्षित करना है, जिससे बच्चों में सामाजिक विकास हो सके, तथा उनके व्यवहार व दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आ सके। यहां शिक्षण शास्त्र नैतिक शिक्षा (moral education) के अंतर्गत आता है।

critical pedagogy (आलोचनात्मक शिक्षाशास्त्र)
आलोचनात्मक शिक्षा शास्त्र का उद्देश्य छात्रों को गंभीर रूप से विचार करने और उन्हें अपनी परेशानियों को समझने व उस पर सवाल उठाने की शिक्षा देना है। इससे छात्र चीजों का समाधान करना सीखता है और किसी भी विषय पर गहराई से विचार करता है।

Culturally Responsive pedagogy (सांस्कृतिक रूप से उत्तरदाई शिक्षाशास्त्र)  
इसके अंतर्गत विद्यार्थी सांस्कृतिक और सामाजिक अंतर को समझते हैं और वह सांस्कृतिक रूप से जागरूक बनते हैं।

शिक्षा शास्त्र के सिद्धांत (Principles of Pedagogy in Hindi)

अध्यापक चाहते हैं, कि उनके द्वारा पढ़ाए जाने वाले विषय वस्तु प्रभावपूर्ण हो। इसके लिए एक अध्यापक को बहुत ही नई नई बात और नए नए तरीकों को अपने व्यवहार में लाना आवश्यक होता है। जैसे की विषय की शुरुआत कैसे की जाए, कहां से की जाए, कौन सा तरीका प्रयोग में लाया जाए जिससे विद्यार्थी अध्यापन में रुचि ले सकें। इन्हीं कुछ सवालों पर विचार करके शिक्षा शास्त्रियों ने अध्यापकों के लिए अनेक सिद्धांतों का आविष्कार किया है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं। 

1- क्रिया द्वारा सीखने का सिद्धांत
2- जीवन से संबद्धता का सिद्धांत
3- हेतु प्रयोजन का सिद्धांत
4- चुनाव का सिद्धांत
5- विभाजन का सिद्धांत
6- पुनरावृति का सिद्धांत

क्रिया द्वारा सीखने का सिद्धांत

स्वयं किसी भी कार्य को करने से बच्चे अधिक सीखते हैं। जिस कार्य को बच्चे खुद करते हैं, उन्हें वह अच्छे से समझ आ जाता है, यानि उन्हें कोई भी चीज खुद करके ज्यादा अच्छे और लंबे समय के लिए याद हो जाती है। अतः अध्यापक द्वारा पढ़ाई जाने वाली विषय वस्तु इस प्रकार की होनी चाहिए जिससे की बच्चे को ‘स्वयं कार्य करने के द्वारा सीखने’ के अधिक से अधिक मौके मिले।

जीवन से संबद्धता का सिद्धांत

जीवन से जुड़ी सभी वस्तुओं के बारे में जानना बच्चों की प्रकृति होती है, इसलिए अध्यापन में जीवन से संबंधित वस्तुओं को शामिल किया जाना चाहिए अर्थात जीवन की वास्तविक परिस्थितियों से लिए गए विषयों को शामिल करना चाहिए, जिससे छात्रों की पढ़ाई में रुचि बढ़ेगी।

हेतु प्रयोजन का सिद्धांत (उद्देश्य का सिद्धांत)

जब तक छात्रों को पढ़ाई जाने वाली विषय वस्तु का हेतु अर्थात उद्देश्य पता नहीं होगा तब तक वे उस में रुचि नहीं लेंगे और ना ही ध्यान देंगे। केवल विषय वस्तु का उद्देश्य ज्ञात होने से कुछ नहीं होगा बल्कि पढ़ाई जाने वाली विषय वस्तु का उद्देश्य छात्रों को प्रेरणा देने वाला होना चाहिए जिससे उनका पूरा ध्यान उसको पढ़ने और समझने में लगा रेहता है।

चुनाव का सिद्धांत

मनुष्य की आयु सीमा बहुत कम है, और संसार में ज्ञान का भंडार है। इसीलिए अध्यन की विषय वस्तु मैं ज्ञान के भंडार में से अत्यंत महत्वपूर्ण वस्तुओं को ही चुनकर रखा जाना चाहिए।

विभाजन का सिद्धांत

संपूर्ण विषय वस्तु को उचित खंडों एवं इकाइयों में विभाजित किया जाना चाहिए और यह इकाइयां सीढ़ियों की तरह होनी चाहिए, जिन्हें बच्चा एक-एक कर पार करता रहे और आगे बढ़ता जाए।

पुनरावृति का सिद्धांत

छात्र किसी भी विषय वस्तु को ज्यादा समय तक अपने दिमाग में नहीं रख पाते हैं। इसलिए समय-समय पर उस विषय वस्तु की पुनरावृति कराई जानी अत्यंत आवश्यक है, जिससे बच्चा उस विषय वस्तु को दिमाग में भली प्रकार से समायोजित कर सके। 

Conclusion

दोस्तों आपने पेडागोजी क्या है, पेडागोजी का सिद्धांत क्या है, इसके बारे में पढ़ा, हमें उम्मीद है, दी गई जानकारी आपको ज्ञानवर्धक लगी होगी। यदि यह जानकारी आपको अच्छी लगी है, तो इसे अपने मित्रों को भी शेयर करें। 

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