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Hypervisor in Cloud computing

hypervisor in cloud computing in hindi

इस पोस्ट में हम बात करेंगे क्लाउड कंप्यूटिंग में Hypervisor क्या होता है, हाइपरवाइज़र का क्या काम है? Hypervisor in cloud computing in Hindi, हमने अपनी पिछली पोस्ट में वर्चुअल मशीन के बारे में जाना था, और हाइपरवाइज़र को वर्चुअल मशीन मॉनिटर (VMM) Virtualizer भी कहा जाता है, तो चलिए विस्तार से जानते हैं, हाइपरवाइज़र क्या है, और क्लाउड कंप्यूटिंग में हाइपरवाइज़र का क्या काम है?

hypervisor in hindi | Hypervisor क्या है

हाइपरवाइज़र इसे वर्चुअल मशीन मॉनिटर (VMM) भी कहा जाता है, यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसके द्वारा multiple वर्चुअल मशीन Create और Run किए जा सकते हैं। Hypervisor द्वारा एक Physical होस्ट कंप्यूटर या सर्वर पर विभिन्न (VM) वर्चुअल मशीन तैयार किए जा सकते हैं, और यह सॉफ्टवेयर उन सभी (VMs) के लिए Host कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम तथा उसके (resources) जैसे की Processor, Memory, storage इत्यादि के access को संभव बनाता है। 

इसके साथ ही Hypervisor प्रत्येक वर्चुअल मशीन द्वारा किए जा रहे होस्ट कंप्यूटर के संसाधनों के उपयोग को भी मैनेज और कंट्रोल करता है, ताकि होस्ट से कनेक्ट सभी (VMs) सही से काम कर सकें और उनकी performance में कोई कमी ना आने पाए। 

अब चलिए इसे एक उदाहरण द्वारा समझते हैं, मान लीजिये आपके पास एक कंप्यूटर है, जिसमे विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम Installed है, लेकिन वहीँ आपके कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर भी हैं, जिनके लिए आपको Linux ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता है, तो यहाँ पर आप Hypervisor द्वारा अपने उस एक कंप्यूटर पर multiple वर्चुअल मशीन create कर सभी में अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम इनस्टॉल कर सकते हैं, जहाँ पर प्रत्येक वर्चुअल मशीन आपके लिए एक अलग कंप्यूटर की ही तरह काम करेगा। 

Hypervisor In Cloud Computing In Hindi

हाइपरवाइजर क्या होता है, यह तो आप समझ गए होंगे, लेकिन Cloud Hypervisor क्या है, चलिए इसे भी समझते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग का किस व्यापक रूप में उपयोग हो रहा है, यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है।

हाइपरवाइजर द्वारा क्लाउड पर मौजूद क्लाउड प्रदाता (Provider) के भौतिक(Physical) कंप्यूटिंग संसाधनों को Multiple वर्चुअल मशीनों के रूप में शेयर किया जा सकता है, जिससे ना सिर्फ क्लाउड प्रदाता का IT Infrastructure पर होने वाला खर्च काफी कम हो जाता है, उसे flexibility मिलती है, बल्कि Users की भी इंफ्रास्ट्रक्चर और मेंटेनन्स कॉस्ट बच जाती है, और वे एक सही Cloud environment में काम कर पाते हैं। 

यदि एक क्लाउड सर्विस प्रदान करने वाली कंपनी की बात करें तो उन्हें User’s द्वारा क्लाउड कंप्यूटिंग की इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में विभिन्न सर्वर्स की आवश्यकता होती है, क्योंकि उन्हें अपने Users को इंटरनेट के माध्यम से multiple services उपलब्ध करानी होती हैं, और ऐसे में उन विभिन्न Working servers जिनमे अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम हैं, अलग सर्विसेज हैं, उन सभी को मैनेज कर पाना, उनका रख-रखाव करना आसान नहीं होता है, और क्लाउड कंप्यूटिंग के इसी काम को Hypervisor आसान कर देता है। 

जिसमे एक ही Physical server पर Multiple वर्चुअल सर्वर create किये जाते हैं, और बहुत आसानी से उन्हें कंट्रोल और मैनेज किया जाता है, यानि ये केहना उचित होगा की hypervisor टेक्नोलॉजी का वह element है, जिसने क्लाउड कंप्यूटिंग को आसान बना दिया है। 

Types of Hypervisors in cloud computing in Hindi

हाइपरवाईजर के दो प्रकार होते हैं, Type 1 और Type 2 hypervisor.

Type 1 hypervisor :- टाइप 1 हाइपरवाइजर को “bare metal” hypervisor भी कहा जाता है, यह (Directly) सीधे host server पर इनस्टॉल होता है, यानि होस्ट हार्डवेयर और हाइपरवाइजर के बीच कोई ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) नहीं रेहता है, बल्कि यह सीधे एक Firmware या होस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम की ही तरह होस्ट हार्डवेयर पर इनस्टॉल हो जाता है।

जिसके फलस्वरूप होस्ट हार्डवेयर या होस्ट संसाधनों जैसे CPU, RAM, Storage इत्यादि पर इसका direct access रेहता है, जो की इसे टाइप2 हाइपरवाइजर की तुलना में Effective बनाता है।
क्योंकि टाइप 1 हाइपरवाइजर में कोई ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं होता है, तो इसका कंसोल और डिज़ाइन काफी सुरक्षित होता है, और इसका प्रदर्शन भी बेहतर रेहता है। इस कारण IT, क्लाउड सर्विस प्रदाताओं या एंटरप्राइज द्वारा आम तोर पर Type 1 hypervisor का ही उपयोग किया जाता है। vMware ESXi, Citrix Hypervisor और Microsoft Hyper-V यह सभी टाइप 1 हाइपरवाइजर के कुछ मुख्य उदाहरण हैं।  

Type 2 Hypervisor :- टाइप 2 हाइपरवाइजर को होस्टेड हाइपरवाइजर भी कहा जाता है, यह होस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम पर इनस्टॉल होता है, यानि होस्ट हार्डवेयर और हाइपरवाइजर के बीच होस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद रेहता है, जिस कारण टाइप 1 हाइपरवाइजर की ही तरह, टाइप 2  हाइपरवाइजर का होस्ट संसाधनों पर direct access नहीं होता है।

ऐसे में जब कभी hypervisor को Host server से कम्यूनिकेट करना होता है, तो वहाँ पर यह कम्युनिकेशन होस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम से होकर गुजरता है, जिस कारण ना सिर्फ कम्युनिकेशन में काफी समय और गैप हो जाता है, बल्कि इसे सुरक्षित भी नहीं समझा जाता है।

टाइप 2 हाइपरवाइजर की इंस्टालेशन आसान होती है, और इसे आम तोर पर end users के द्वारा उपयोग किया जाता है, जहाँ पर सिंगल कंप्यूटर पर यह सही काम करता है, और वहाँ पर सुरक्षा की भी अधिक चिंता नहीं रेहती है। VMware Workstation, Oracle Virtual box तथा Microsoft Virtual PC यह सभी टाइप 2 हाइपरवाइजर के कुछ उदाहरण हैं। 

Hypervisor के कुछ मुख्य लाभ।

Cloud Hypervisor के कुछ मुख्य लाभ इस प्रकार हैं। 

:- हाइपरवाइजर हमें एक सिंगल कंप्यूटर पर विभिन्न (VMs) बनाने की अनुमति देता है, जिससे की उस एक कंप्यूटर पर बैठे multiple (VMs) को मैनेज किया जा सकता है।  

:- यह हमें सभी (VMs) पर Independently कार्य करने, और सभी पर अलग ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) तथा सर्विसेज Install और मैनेज करने की अनुमति देता है।   

:- इसमें Users की मांग अनुसार कभी भी Scale-up कर work load को बैलेंस किया जा सकता है, और साथ ही यह आपको जब चाहे work load को (VMs) के बीच move करने की अनुमति भी देता है। 

:- क्लाउड हाइपरवाइजर यह सुविधा प्रदान करता है, की किसी भी समय प्रोजेक्ट अनुसार आप (VMs) की संख्या बढ़ा या घटा सकते हैं। 

:- एक सिंगल सर्वर के Resources शेयर कर multiple वर्चुअल कंप्यूटर पर कार्य किया जा सकता है, जिससे ना सिर्फ संसाधनों पर लगने वाली कॉस्ट बचती है, बल्कि Power की भी बचत होती है। 

:- एक सामान्य सर्वर की तुलना में Hypervisor द्वारा कुछ ही पलों में कोई वर्चुअल कंप्यूटर ready किया जा सकता है। 

निष्कर्ष (Conclusion)

आपने पढ़ा Hypervisor क्या है, और क्लाउड कंप्यूटिंग में Hypervisor का क्या उपयोग है, Hypervisor in Cloud computing in Hindi, यदि हमारे द्वारा दी गई इस जानकारी से आपके ज्ञान में कुछ वृद्धि हुई है, तो इस जानकारी सोशल मीडिया के द्वारा अपने मित्रों से भी शेयर करें। इस पोस्ट से जुड़े आपके कोई सवाल हैं, या कोई सुझाव है, तो आप कमेंट द्वारा हमें बता सकते हैं। 

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