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HDLC in Hindi

HDLC Protocol In Hindi | High-Level Data Link Control Protocol

आज के इस पोस्ट में आप HDLC प्रोटोकॉल के बारे में जानेंगे, HDLC प्रोटोकॉल क्या है, HDLC Protocol In Hindi और यह कैसे काम करता है।  

हमने अपनी पिछली पोस्ट में डाटा लिंक लेयर के बारे में आपको विस्तार से बताया था, डाटा लिंक लेयर का काम Node To Node डाटा ट्रांसमिशन को सुनिश्चित करना है। डाटा लिंक लेयर के अंतर्गत कई प्रोटोकॉल आते हैं, जिनके कारण डाटा ट्रांसमिशन संभव हो पाता है, प्रोटोकॉल के इसी समूह में से एक HDLC भी है, यानि HDLC एक डाटा लिंक लेयर प्रोटोकॉल है। 

तो चलिए विस्तार में जानते हैं, (HDLC) क्या है, HDLC In Hindi और यह प्रोटोकॉल नोड से नोड डाटा ट्रांसमिशन में क्या भूमिका निभाता है। 

HDLC प्रोटोकॉल क्या है | HDLC Protocol In Hindi

(HDLC) का Full Form है, High-Level Data Link Control, यह प्रोटोकॉल IBM के (SDLC) Synchronous Data Link Control प्रोटोकॉल पर आधारित है, जो की IBM के सिस्टम नेटवर्क आर्किटेक्चर का लेयर 2 प्रोटोकॉल है। HDLC को International Organization For Standardization (ISO) द्वारा सन 1979 में डेवेलोप किया गया था। 

एच-डी-एल-सी एक Bit Stream प्रोटोकॉल है, यानि कम्युनिकेशन लिंक पर डाटा बिट्स का लगातार ट्रांसमिशन होता है, तथा यह Half Duplex और Full Duplex दोनों ही कम्युनिकेशन लाइन्स को Support करता है।

HDLC का काम मूल रूप से कंप्यूटर नेटवर्क में पॉइंट से पॉइंट् या मल्टीपोइंट्स पर कम्युनिकेशन स्थापित कर उनके बीच Data Frames की डिलीवरी करना है। नेटवर्क पॉइंट्स के बीच कम्युनिकेशन स्थापित करने के लिए HDLC प्रोटोकॉल Physical Layer की सर्विसेज का इस्तेमाल करता है, ताकि सेंडर और रिसीवर के बीच कम्युनिकेशन स्थापित हो सके

एच-डी-एल-सी में डाटा को Units के रूप में Organize किया जाता है, जो की Frames कहलाते हैं, और इन्हीं फ्रेम्स को एक नोड से दूसरे नोड या मल्टीनोड्स तक भेजा जाता है।

डाटा ट्रांसफर के दौरान प्रत्येक Data Piece को HDLC Frame में Encapsulate किया जाता है, और प्रत्येक फ्रेम के साथ Header और Trailer को भी जोड़ दिया जाता है, जहाँ पर Header HDLC Address और HDLC Control Field को Contain करता है, वहीँ Trailer को Frame के अंत में जोड़ा जाता है, जो की (CRC) Cyclic Redundancy Check को Contain करता है, CRC का काम ट्रांसमिशन के दौरान उत्पन्न होने वाली Errors का पता लगाना है। 

HDLC प्रोटोकॉल का काम ना सिर्फ डाटा का Reliable ट्रांसमिशन करना ही है, बल्कि यह कई ऑपरेशन्स भी करता है, जैसे डाटा फ्रेमिंग, डाटा ट्रांसमिशन के दौरान Error Detection और Correction करना, और साथ ही यह डाटा ट्रांसमिशन के Flow को भी नियंत्रित करता है, यानि HDLC Protocol द्वारा डाटा ट्रासंमिशन की गति को भी मैनेज किया जा सकता है 

HDLC Data Transfer Modes In Hindi

एच-डी-एल-सी कम्युनिकेशन सेशन के दौरान कोई एक स्टेशन Primary की भूमिका में होता है, और दूसरा Secondary की। HDLC प्रोटोकॉल इन दो निम्नलिखित डाटा ट्रांसफर मोड्स को सपोर्ट करता है। 

  • Normal Response Mode (NRM):- इसमें दो Stations होते हैं, एक प्राइमरी स्टेशन जो की command भेजता है, और दूसरा सेकेंडरी स्टेशन जो उस प्राप्त कमांड पर Respond करता है। इस मोड का प्रयोग Point To Point तथा Multiple-Point Links दोनों के लिए किया जाता है।

  • Asynchronous Balance Mode (ABM):- यहाँ पर दोनों Station’s कमांड Send कर सकते हैं, तथा प्राप्त कमांड पर Respond भी कर सकते हैं, यानि यहाँ पर Configuration संतुलित रहती है, और इसे सिर्फ Point To Point कम्युनिकेशन के लिए ही उपयोग किया जाता है।

Types Of HDLC Stations In Hindi

HDLC आमतौर पर डाटा लिंक नियंत्रण के लिए निम्नलिखित तीन प्रकार के स्टेशंस को निर्दिष्ट (Specify) करता है। 

Primary Station :- इस स्टेशन का काम डाटा लिंक मैनेजमेंट को देखना है, प्राइमरी स्टेशन डाटा लिंक में कंट्रोलिंग स्टेशन का काम करता है, यानि यह Master की भूमिका निभाता है। जब प्राइमरी और सेकेंडरी स्टेशन का कम्युनिकेशन होता है, तो ऐसे में प्राइमरी स्टेशन का ही पूरा दायित्व होता है, की वह डाटा लिंक को Connect करे या Disconnect करे, यानि यहाँ पर प्राइमरी स्टेशन के होते हुवे सेकेंडरी स्टेशन का लिंक की कंट्रोलिंग का कोई दायित्व नहीं होता है, बस वह प्राइमरी स्टेशन को ही Respond करता है। Frames जो प्राइमरी स्टेशन द्वारा ट्रांसफर किए जाते हैं, उन्हें Commands कहा जाता है। 

Secondary Station :- सेकेंडरी स्टेशन प्राइमरी स्टेशन के कंट्रोल के अंतर्गत ऑपरेट करता है, यानि सेकेंडरी स्टेशन सिर्फ Response करने का काम करता है, यह Slave की भूमिका में होता है। यह तभी Frames को ट्रांसफर करता है, जब प्राइमरी स्टेशन द्वारा इसकी Request की जाती है। Frames जो सेकेंडरी स्टेशन द्वारा ट्रांसफर किए जाते हैं, उन्हें Response कहा जाता है। 

Combined Station :- यह प्राइमरी और सेकेंडरी स्टेशन का Combination है, यानि किसी लिंक में Combined स्टेशन बिना किसी परमिशन के Commands और Response दोनों सेंड कर सकता है। कंबाइंड स्टेशन का खुद पर पूरा कंट्रोल होता है, यानि यह लिंक में किसी दूसरे स्टेशन पर निर्भर नहीं होता है। 

HDLC फ्रेम्स के प्रकार | Types Of HDLC Frames In Hindi

निम्नलिखित तीन प्रकार के HDLC Frame हैं, जिनका उपयोग किया जाता है, और Frame के प्रत्येक प्रकार की जानकारी उसके Control Field के द्वारा लगाई जा सकती है। 

  1. I-Frames :-I-Frame यानि Information Frames, इन Frames का उपयोग User Data तथा User Data से जुड़ी Control Information दोनों को ट्रांसपोर्ट करने के लिए किया जाता है। यदि कंट्रोल फील्ड का First Bit 0 है, तो उसकी पेहचान I-Frame के रूप में की जाती है। 

  2. S-Frames :- S-Frame यानि Supervisory Frames, इन Frames की आवश्यकता मुख्य रूप से Error Control तथा Flow Control इनफार्मेशन को Carry करने के लिए होती है। यदि Control फील्ड के पहले दो बिट 1 और 0 होते हैं, तो उसकी पेहचान S-Frame के रूप में की जाती है।

  3. U-Frames:-U-Frames यानि Unnumbered Frames, इन Frames का उपयोग मुख्य रूप से कम्युनिकेटिंग Devices के बीच Control Information को Exchange करने के लिया किया जाता है। यह Frames सिस्टम मैनेजमेंट के लिए Reserve रहते हैं। 

(Conclusion)

इस पोस्ट में आपने HDLC प्रोटोकॉल के बारे में जाना, HDLC प्रोटोकॉल क्या है, HDLC protocol in Hindi, HDLC transfer modes, HDLC stations, और HDLC Frames के प्रकार इत्यादि। यदि जानकारी आपको ज्ञानवर्धक लगी है, तो इसे दूसरों के साथ भी शेयर करें। 

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